Monday 18 September 2017

छोटे से कार्यकर्ता का एक लेख गूंजते नारों के संग राहुल गांधी जी को सलाह देता हुआ

नमस्कार साथियों, एक अंतराल के बाद  नये लेख के साथ आप सबके बीच लौटा हूं। आज का लेख राहुल गांधी जी को सलाह देने के लिये लिख रहा हूं। ये मालूम तो नही कि मेरा लेख राहुल गांधी जी तक पहुंच पायेगा या नही। मगर इतना जरूर विश्वास है जो मेरे लेख को पढेगा वो मेरी दी हुई सलाह के साथ अपना सुर मिलायेगा वो चाहे छोटा कार्यकर्ता हो या कोई बडा नेता।


साथियों, अब अपने लेख को शुरू करता हुआ याद दिलाता हूं कि नरेन्द्र मोदी ने जब चुनावी सफर की शुरुआत की थी तो वाराणसी जाकर हुंकार भरी थी कि मुझे मां गंगा ने बुलाया है मैं ये नही कहता कि राहुल गांधी जी नरेन्द्र मोदी की नकल करते हुये ये सब  कहें लेकिन दोस्तो राहुल गांधी जी को 2018 शुरू होते ही वाराणसी मे एक बडी चुनावी रैली करनी चाहिए और मंच से ऐलान करना चाहिए कि मुझसे मां गंगा के साथ हुआ धोखा देखा नही गया एक बेटा गुजरात से आया था दिल्ली जाकर बैठ गया , वो बडे-बडे वादे करता गया वो कहता रहा कि मां गंगा को साफ करूंगा मगर मां गंगा के नाम पर सरकारी खजाना साफ करता गया, एक मीटिंग मे चाय-समोसे पर 30-40लाख खर्च करते रहे मगर मां गंगा को छल लिया गया, अब उस छल का हिसाब लेने का वक्त आ गया है साथियो, उसने 60महीने मांगे और आपने उसको 60महीने दिये मगर गौर कीजिये उस 60 महीनों वाले फकीर ने आपको क्या दिया? बस टैक्सो की मार, दलित पर अत्याचार, मौत के फंदो पर लटकते किसान, सीमा पर शहीद होते जवान।
ना गरीब व मध्यमवर्ग को कोई सहुलियत दी गई ना ही किसानों की फसलों के रेट बढाये गये, सीमा पर माहौल भी बिगाड़ दिया गया जवान शहीद हो रहे हैं 1 के बदले 10 सर लाने वाला 56इंची सीना मौन बैठा है मोदी जी अब मोदी नही रहे वो मौनदी बाबा हो गये हैं।
आओ मोदी जी मैं आपको इस मंच से ललकारता हूं आज मैं इस मंच से मां गंगा को उसके झूठे कलाकार बेटे से निजात दिलाने का संकल्प लेता हूं, मैं इस देश को झूठ के फेर मे फंसाकर दी गई हर समस्या से निजात दिलाकर जरूरी सहुलियतों की सौगात देने का संकल्प लेता हूं।
मां गंगा तेरी गोद मे कुछ लेने नही आया मैं इस देश को झूठे इंसान से बचाने आया हूं मां गंगा अपने बेटे को आशीर्वाद देकर भेज।


दोस्तों, अगर राहुल गांधी कुछ ऐसा भाषण मां गंगा के आंगन मे जाकर दें तो आने वाले लोकसभा चुनावों मे एक अलग सी लहर बन जायेगी और नरेंद्र मोदी वाराणसी छोडकर भाग भी सकते हैं क्योंकि नरेन्द्र मोदी को सुरक्षित सीट की जरूरत है वो इस सीट पर असुरक्षित हो जायेंगे क्योंकि इस सीट पर सपा-बसपा सब कांग्रेस का साथ देंगे और इस बार कांग्रेस के लिये प्लस प्वाइंट नरेन्द्र मोदी का ऐंटी-इन-कबेंसी मे होने और उनके हर वादे का जुमला सिध्द होना भी रहेगा। नरेन्द्र मोदी की टक्कर मे लडने भर की बात ही कांग्रेसी कार्यकर्ताओं मे जोश-जुनून-जज्बा भर देगी। कार्यकर्ताओं मे एक नई ऊर्जा का संचार होगा।


राहुल गांधी जी के वाराणसी से चुनाव लडने की घोषणा के तुरंत बाद 1महीने के अंदर पूरे देश मे गठबंधन का दौर शुरू कर सीटों का बंटवारा कर उम्मीदवार उतारने शुरू करने चाहिए और उन उम्मीदवारो को दरकिनार करना चाहिए जिन्होंने पिछले चुनाव मे बहाना बनाकर चुनाव लडने से इंकार किया हो। हर विधानसभा मे जो लोग विधानसभा की टिकट के चाहवान हों उन सबको हर विधानसभा क्षेत्र से लोकसभा चुनाव मे जिताकर भेजना शर्त मे रखा जाये।


उत्तरप्रदेश मे सपा-बसपा को बराबर सीटों पर लडने को मनाया जाये, बिहार मे लालू-शरद के संग चलकर मजबूत गठबंधन जारी रखा जाये, तमिलनाडु मे डीएमके के संग चला जाये और बंगाल मे भी विशेष रणनीति के संग ममता और लेफ्ट को एक मंच पर लाकर एकजुट करने का प्रयास किया जाना चाहिए।


राहुल गांधी जी अभी से ऐक्टिव मोड पर हैं उनको इसी ऐक्टिव मोड को जारी रखते हुये हर प्रदेश मे जो अंदरूनी तौर पर गुट बने हुये हैं उनकी गुटबाजी को दूर करना चाहिए क्योंकि हम इतना बाहर से कमजोर नही हैं जितना अंदर से खोखले हो चुके हैं।
राहुल गांधी जी को अब हर प्रदेश मे जाकर कार्यकर्ताओ मे हौसला भरना चाहिए।


"ना कोई तूफान आयेगा ना आयेगी कोई आंधी, जनता समझ चुकी है जुमलो को, जनता लेकर आयेगी अब सिर्फ राहुल गांधी को"


"झूठो की भरमार थी, कुछ ऐसी मोदीसरकार थी, अब उन झूठो पर चढी धूल को हटाने आ रहा है तूफाने-आंधी, कहदो जाकर गरीब-मजदूर-किसानों को अब हर दर्द मिटाने आ रहा है राहुल गांधी"


"क्या मिला मोदी के शाषण से, ना रोटी मिली ना रोजगार मिला, जो कुछ था पल्ले वोे भी गया छीना, कांग्रेस ने दी थी जो सहुलियत वो भी गया लील मोदी, देश की जनता बताये अब कि बडी तकडी भूल था मोदी"


कुछ ऐसे नारों के साथ हर टीवी गूंज उठे और कार्यकर्ताओं को मैदान मे कुछ ऐसे ही नारों के साथ उतार दिया जाये, कार्यकर्ताओं को प्रोजेक्टर मुहैया करवायें जाये और मोदी के पुराने वादों की वीडियो मुहैया करवाकर गांव दर गांव एक चौपाल लगवाई जाये और उस चौपाल मे वो वीडियो दिखाई जाये और पूछा जाये क्या मिला वोट देकर?


"क्या मिला वोट देकर, जो कुछ पहले अच्छा था वो भी बुरा हो गया अच्छे दिन के लारे मे खोकर, महंगाई भी तो बढ गई है बेटी भी असुरक्षित हो गई है अब ना बात रही पढाई-लिखाई की अब तो बात रह गई बस जात-धर्म मे बांट मार-कुटाई की, छाती ठोंक अपनी 56इंची बतलाता था वो चुनावों से पहले तो 1के बदले 10सर लाता था, उसमे अब ना वो बात रही, अब जाकर पता लगा उसने तो हर बात जुमला कही"


राहुल गांधी जी के लिये ये सब मुश्किल होगा लेकिन असंभव नही, राहुल गांधी जी देश के भविष्य हैं और देश की उम्मीदों पर खरा उतरेंगे।


"तूं शराफत का प्रतीक है, तूं सच्चाई का मीत है, झूठ से कोसों दूर है, तेरे मे देशभक्ति वाला सुरूर है, तूं बात आधुनिकता की करता है, चलता रह राह पर अपनी फिक्र ना कर अभी बेशक अकेला है, सच्चाई के पीछे तो मेला है, चाहे अभी झूठों का रैला हो, दुआ है संग तेरे गरीब-मजदूर-किसान की कि संग तेरे मेला हो"


बस इन्हीं पंक्तियों के संग विदा लेता हूं दोस्तों।

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