नमस्कार दोस्तो, आज नये लेख के साथ आया हूं आप सबके बीच, आज का लेख कल हुये ऐतिहासिक राज्यसभा चुनाव के बारे में।
कल एक जंग थी, उस जंग मे हीरो अहमद पटेल थे और विलेन अमित शाह क्यूंकि इस चुनाव मे जिस प्रकार से शाम-दाम-दंड-भेद सबका प्रयोग किया गया उस प्रकार से इस चुनाव मे हीरो-विलेन चरित्र को रखना ही होगा। राज्यसभा चुनाव कहने को तो सबसे आसान होते हैं लेकिन जिस प्रकार का राज्यसभा चुनाव कल हुआ उतना सस्पेंस तो एक ग्रामीण पंचायत चुनाव मे नही होता। राज्यसभा चुनाव मे विधानसभा के लिये चुनकर आये विधायक मतदान करते हैं उस हिसाब से बीजेपी 2सांसद आसानी से बना रही थी और 1 सांसद कांग्रेस का भी पक्का था लेकिन जो 1 सांसद कांग्रेस का पक्का था उसके पक्केपन को कच्चा करने के लिये कांग्रेस के 6विधायकों से इस्तीफा दिलवाया और फिर उन्ही विधायकों मे से एक बलवंत सिंह को राज्यसभा चुनाव मे उतार दिया ताकि वो कांग्रेस के विधायकों को अपने संग लाने मे सहयोग करे क्यूंकि एक पार्टी मे रहते हुये एक-दूसरे से संबंध बेहतर बन जाते हैं। आप सभी को पता ही है कि कांग्रेस के विधायकों ने खरीद-फरोख्त का आरोप बीजेपी पर लगाया था वो आरोप खुद को अपने आप सिध्द कर देता है क्यूंकि बीजेपी ने उस सीट पर अपना उम्मीदवार उतारा था जहां से कांग्रेस की जीत पक्की थी और जोड-तोड किये बिना बीजेपी के उम्मीदवार की जीत संभव नही थी इसीलिये जोड-तोड जरूर किया गया होगा। दाम भी लगे होंगे बोली भी लगी होंगी जो बिकाऊ थे वो बिक गये जो दिल मे कांग्रेसी होने का जूनून लिये जी रहे थे वो टिक गये।
राज्यसभा चुनाव की गिनती को पहले कांग्रेस ने रोककर अपनी अपत्ति दर्ज करवाई कि कांग्रेस के दो विधायकों ने अपनी बीजेपी के एजेंट को दिखाया जो कि राज्यसभा चुनाव के नियमों का हिस्सा नही है कि अपनी पार्टी के एजेंट के बिना किसी दूसरे को दिखाकर वोट की गोपनीयता खत्म की जाये। इसी नियम के तहत उन दो विधायकों के वोटों को रद्द कर दिया गया और कांग्रेस के राज्यसभा उम्मीदवार को जीत मिल गई। लेकिन ये हाई-वोल्टेज राजनीतिक ड्रामा रात के 2बजे तक चला। बीजेपी ने चुनाव आयोग के दो विधायकों वाले वोटों के रद्द करने के फैसले के खिलाफ चुनाव आयोग मे अपनी अपत्ति दर्ज करवाये बिना गिनती को रोका रखा तो चुनाव आयोग की तरफ से एक कडा संदेश आया कि बिना अपत्ति दर्ज करवाये गिनती रोकना असंवैधानिक है और वो पार्टी के खिलाफ कठोर कार्रवाई करेगी। बस इसी संदेश को सुनते ही बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने अपनी हार कबूल करली और गिनती होने दी।
गिनती के नतीजों मे निकला कि अहमद पटेल 44 वोट लेकर जीत गये और गुजरात मे कांग्रेसीयों मे एक अलग सा ही ऊर्जा संचार होने लगा एक जज्बा सा आ गया हौंसला बढ गया कि "अब मंजिल दूर नही चल मुसाफिर पकड इसी राह को, चल निकल थाम हाथों मे तिरंगा कांग्रेसी, ऊंचा-ऊंचा स्वर रख जय कांग्रेस के नारों मे, बीजेपी को बाहर रख घुस जा सत्तासीन गलियारों मे, रोम-रोम कल जाग उठा कांग्रेसी सिपाही भी जाग उठा अब डर जायेगा भाजपाई जय कांग्रेस की ललकारों से"
कल सभी कांग्रेसी साथियों के लिये प्रेरणा भरी बात ये भी रही कि उन्होंने गुजरात के सभी दिग्गज नेताओं को एक मंच पर एकजुट देखा और एकजुटता देखकर कांग्रेसीयों को एकजुट रहकर पार्टी के लिये कार्य करने की प्रेरणा मिली। ये प्रेरणा सिर्फ गुजरात कांग्रेस को नही ब्लकि पूरे देश मे कांग्रेसी विचारधारा को पूजने वाले कांग्रेसीयों को भी मिली।
रात को मैं भी 3 बजे तक नही सोया क्यूंकि एक जीत अभी बाकी थी, लोकतंत्र का जीतना बाकी था क्यूंकि शाम-दाम-दंड-भेद को हारते देखना बाकी था, खुद मे जज्बा भरना बाकी था खुद के हौंसलों को बुलंद भरना बाकी था, बीजेपी के खिलाफ एक ललकार बाकी थी, लूटतंत्र की देखनी हार बाकी थी।
बीजेपी इस चुनाव को नही भूलेगी क्यूंकि इस चुनाव मे सीबीआई-आईटी-अफसरशाही सब उपयोग मे लाये गये थे मगर जीत फिर भी कांग्रेसी विचारधारा गई। बीजेपी इस चुनाव को इस लिये भी नही भूलेगी कि इस चुनाव से कांग्रेसी कार्यकर्ताओं मे एक अलग सा जज्बा जाग गया और हौंसले को चार-चांद लग गये, हर कांग्रेसी झूम उठा, फिर से पुरानी कांग्रेस नजर आई एकजुट नजर आई।
बस ऐसा महसूस हो रहा था जैसे हर कांग्रेसी ललकार उठ रही हो और मोदी-शाह को चेता रही हो
"कहदो जाकर शाह अपने मोदी को, जंग-ऐ-गुजरात का ऐलान हो चुका है जबरदस्त हो चुका है, हार मिली हो बेशक बार कई मगर अब जीते-आगाज हो चुका है यहीं"
बस अब आप सबसे विदा लेता हूं।
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