Thursday 13 July 2017

राहुल जी तुसी बडे मजाकिया हो, मजाक-मजाक मे सरकार की पोल खोल दी

आज का लेख राहुल गांधी के उस ट्वीट पर जिस ट्वीट के माध्यम से राहुल ने आरबीआई तरफ से नोटबंदी के दौरान जमा हुये नोटों का सही आंकडा ना देने पर सवाल उठाया है।


आज कुछ देर पहले राहुल गांधी के ऑफिशियल ट्वीटर अकाउंट से एक मजाकिया लहजे मे ट्वीट आया कि "सरकार को एक गणित के विशेषज्ञ/अध्यापक की जरूरत है" ये ट्वीट एक जोरदार तमाचा है आरबीआई पर और भारत सरकार पर क्यूंकि आप सभी जानते ही हो आजकल कैलकुलेटर से बडी से बडी जोड-घटा आसानी से कर लेते हैं लेकिन आरबीआई व सभी भारतीय बैंको के पास विशेष कंप्यूटर हैं जिनके माध्यम से जितना पैसा जमा होता है उनका हिसाब-किताब कंप्यूटर के माध्यम से आसानी से लगाया जा सकता है और नोटबंदी के दौरान जितना पैसा जमा हुआ था वो उस दौरान कंप्यूटर सिस्टम्स मे भी दर्ज हुआ होगा।



दोस्तो, जिस तरां से नोटबंदी के दौरान जमा हुये निष्कासित नोटों की गिनती ना बता पाना सरकार की विफलता को भी उजागर कर रहा है और सरकार की मंशा पर सवाल भी खडे कर रहा है।
ऐसा लिये भी है क्यूंकि सरकार दूसरे दलों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाती रही है लेकिन अब तक नोटों की गिनती ना कर पाना एक बार फिर से सरकार पर सवाल खडे करता है।
सवाल खडे होना जायज भी हैं क्यूंकि 8नवंबर को जब माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी टेलिविजन पर आकर 500 और 1000रूपये के नोटों की बंदी का ऐलान कर रहे थे तब उन्होंने कहा था कि नोटबंदी करने के लिये पूरी तैयारी हो चुकी है किसी भी देशवासी को कोई दिक्कत नही आयेगी, लेकिन सरकार की मंशा पर सवाल इसीलिये ही खडा होता है जब सब तैयारी पूर्ण थी तो क्या नोटबंदी के दौरान जमा राशि की गणना की तैयारी नही थी क्या प्रधानमन्त्री ने झूठ बोला था कि सब तैयारी पूरी हैं।


आप सबको याद होगा साथियो नोटबंदी के दौरान 15-16 दिन आंकडे जारी होते रहे कि 8लाख करोड 12लाख करोड नोट जमा हो गये। लेकिन जैसे-जैसे नोटबंदी के दौरान निष्कासित नोटों की गिनती बढती गई वैसे-वैसे आरबीआई की तरफ से आंकडे आने बंद होते चले गये।
इसी के साथ एक संदेह उपजता है कि कहीं आरबीआई मे सर्कुलेशन मे घूम रहे निष्कासित नोट कहीं सर्कुलेशन से अधिक तो नही जमा हो गये और इसी कारण सरकार अपनी फजीहत से बच रही हो।


सरकार को जल्द से जल्द नोटबंदी के दौरान जमा हुये 1000 और 500 के नोटों की गिनती बतानी चाहिए, ताकि पूरे देश के लिये सरकार की विश्वसनीयता बनी रहे।


 राहुल गांधी ने बेशक ये ट्वीट मजाकिया लहजे मे किया हो लेकिन ये ट्वीट सरकार और आरबीआई की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुये पूरे देश के समक्ष सरकार की नियत और नीति को व्यक्त कर रहा है।



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