Saturday 1 July 2017

गौरक्षा या गौरक्षा के नाम पर ढोंग

नमस्कार दोस्तो, आज नये लेख के साथ फिर से आप सबके बीच लौटकर आया हूं।

दोस्तो, आज का लेख हमारे पूरे देश मे गौरक्षा के नाम पर फैल रही हिंसा और फर्जी ढोंग के बारे में है, फर्जी ढोंग इसलिये क्यूंकि जिस तरां से गौरक्षा-गौरक्षा चिल्लाया जा रहा है लेकिन आपको हर गली चौराहे में गोवंश या गौमाता भटकती पाॅलीथीन खाती मिल जायेगी जबकि हर शहर में गौशालायें हैं, चलो गौशालायों को छोड देते हैं अब तो हर तरफ गौमाता के नाम पर राजनीति करने वाली बीजेपी की सरकार है लेकिन गौमाता फिर भी भटकती फिर रही है और ये गौमाता का भटकना बीजेपी की गौ-राजनीति के काले चेहरे को उजागर करता है, ऐसा कोई पहली बार नही है बीजेपी पहले भी धार्मिक आस्थाओं के नाम पर राजनीति करती रही है, लेकिन सत्ता आने के बाद कुछ नही करती।

मैं आप सबके सामने मेरे हरियाणा का दृश्य रख रहा हूं, हरियाणा मे 3साल पहले कांग्रेस की सरकार थी लेकिन सडकों पर गौमाता भटकती नही मिलती थी लेकिन जबसे गौमाता के नाम पर राजनीति करने वाले ढोंगियो की सरकार आई है तब से हर किसी गली-चौराहे पर गौमाता भटकती मिल जायेगी, लेकिन फर्जी गौभक्तों की सरकार सडकों पर भटक रही गौमाता की कोई सुध नही ले रही है। लेकिन बीच-बीच में बीफ की अफवाह पर कत्लेआम जरूर हो रहे है कभी अखलाक मार दिया जाता है कभी पहलू और कभी जुनैद।

लेकिन जब बीजेपी की सरकार होते हुये भी गौमाता-गोवंश सडकों पर भटक-भटक कर पाॅलीथीन व गंदगी खाकर मर रहे हैं तो इसकी जिम्मेदार भी  फर्जी गौभक्तों की सरकार  बीजेपी की बनती है और जो गौभक्त हैं उनको बीजेपी की सरकार को मारना चाहिए वोट की मार से।

दोस्तो, हमारे पूरे देश मे गौरक्षा के नाम पर हत्यायें हो रही हैं लेकिन मोदी जी मंच पर आते हैं गौरक्षकों को लताड लगाते हैं और फिर से मौन धारण कर मौनदी बन जाते हैं परंतु इन हो रही हत्यायों के गुनाहगारों पर कोई ठोस कार्रवाई नही करते और परिणामस्वरूप महीने-दोमहीने बाद फिर से हत्या की खबर सामने आ जाती है। और आलम ऐसा है कि ना तो गौमाता बच रही ना ही हमारी जनता बच रही है। गौरक्षा के नाम पर फैल रही हिंसा को सिर्फ मैं या कोई अन्य ही नही उठा रहा इस हिंसा को नरेंद्र मोदी जी ने खुद मंच से स्वीकारते हुये गौरक्षकों को गुंडा व हिंसा करने वाला बताया था।

खास बात ये है कि अखलाक के घर बीफ पकने के नाम पर अखलाक की हत्या हुई थी लेकिन रिपोर्ट मे आया कि वो मास का टुकडा बीफ नही था लेकिन उस रिपोर्ट को फिर से राजनीतिक दबाव मे तैयार करवाकर बीफ बतलाया गया।
कुछ ऐसा ही किस्सा हरियाणा के मेवात मे हुआ था वहां की मटन की दुकानों से मास को हिसार मे चेक करवाया गया और मैंने बडे राष्ट्रीय अखबार अमर उजाला के पेज पर पढा कि मेवात से चेकिंग के लिये लिया गया मास बीफ नही था लेकिन कुछ दिनों बाद मैंने अमर उजाला के फ्रंट पेज पर पढा कि पुरानी रिपोर्ट गलत थी और उस मास मे बीफ था, इससे शक को मजबूती होती है कि कहीं एक समुदाय विशेष को बदनाम करने के लिये रिपोर्टों को राजनीतिक दबाव के चलते बदलवाया तो नही जा रहा है, और ये रिपोर्टें बदलवाने से एक समुदाय को दूसरे समुदाय की धार्मिक आस्था पर आघात करता दिखलाया जा रहा है।


पिछले महीने एक एनआरआई ने हरियाणा की गौभक्त सरकार के कृषि मंत्री ओपी धनखड पर बीफ कारोबार मे सम्मिलित होने का आरोप लगाया था लेकिन गौभक्त सरकार ने उन आरोपों कोई जांच नही करवाई , अगर आज कांग्रेस की सरकार होती और कांग्रेस के किसी मंत्री पर बीफ कारोबार मे सम्मिलित होने के आरोप लगते तो धरने प्रदर्शन कर आरोपी तक घोषित कर दिया जाता है।
हरियाणा की गौभक्त सरकार को अपने कृषि मंत्री ओपी धनखड को जांच करवा पाक-साफ होने का मौका देना चाहिए था।

गौमाता व गौरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा पर सरकार को रोक लगानी चाहिए और गौमाता-गोवंश के लिये सरकार को उचित प्रबंध कर सुरक्षा करनी चाहिए, गौमाता-गोवंश की सुरक्षा के साथ ही समाज की सुरक्षा भी हो जायेगी और देश की जनता के साथ होने वाली सडक-दुर्घटनाओं मे भी कमी आयेगी क्यूंकि अधिकतर सडक दुर्घटनाये भटक रहे गोवंशो के कारण हो रही हैं।
गौमाता-गोवंश के रहन-सहन के उचित प्रबंधन के साथ ही किसानों को भी कुछ राहत मिलेगी क्यूंकि भटकते-भटकते  गौमाता-गोवंश किसान की फसल की तरफ रूख करते हैं और फसल को खाकर बर्वाद कर देते हैं।

सरकार गौभक्त बनने का जितना मर्जी ढोंग करती रहे लेकिन जब तक गौमाता-गोवंशों को भटकने व प्लास्टिक खाने से नही रोकेगी तब तक उनकी गौभक्ति को फर्जी व ढोंगी ही करार दिया जायेगा।

दोस्तो, हम सबको सभी धर्मो की आस्थाओं व मर्यादाओं का सम्मान करना चाहिए, अगर हमारे किसी कृत्य से किसी धर्म की आस्था आहत होती है हमको उस कृत्य से दूरी बनाकर उस कृत्य का विकल्प तलाशना चाहिए, क्योंकि हम सबको टूट रहे समाज को बचाना होगा, हमे राजनीतिक तौर पर पूजी जा रही गौमाता को असल रूप मे पूजना चाहिए।

इन्हीं शब्दों के साथ विदा लेता हूं, फिर मिलूंगा एक नये मुद्दे के साथ नये जज्बात के साथ।

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